बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 भूगोल बीए सेमेस्टर-3 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-3 भूगोल सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 11
जलवायु परिवर्तन
(Climate Change)
प्रश्न- जलवायु परिवर्तन को समझना क्यों आवश्यक है?
अथवा
जलवायु में इतना अधिक परिवर्तन क्यों हो रहा है?
अथवा
जलवायु परिवर्तन के कारण और प्रभाव क्या हैं?
अथवा
मानव जलवायु परिवर्तन के लिये इतना जिम्मेदार कैसे है?
अथवा
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के क्या तरीके हैं?
अथवा
जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी विज्ञान को अच्छी तरह समझना और उसका निराकरण करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर -
जलवायु परिवर्तन
जलवायु में औसत तापमान, दृष्टिगत अहित दीर्घवधिक परिवर्तनों को जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक कारकों जैसे कि सूर्य की तीव्रता में परिवर्तन, जलवायु व्यवस्था के भीतर प्राकृतिक प्रक्रियाओं जैसे कि सागर चक्र में परिवर्तन के परिणामस्वरूप हो सकता है। यह परिवर्तन मानव जनित गतिविधियों जैसे जीवाश्म ईंधनों को जलाने से वायुमंडल संरचना में परिवर्तन, वन कटाव, शहरीकरण, मरुस्थलीकरण आदि के द्वारा भी हो सकता है जिसमें वायुमंडलीय घटकों में परिवर्तन होता है। पृथ्वी के जलवायु नियंत्रण में ग्रीन हाउस गैस प्रभाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जलवायु परिवर्तन अकेले भारत में ही नहीं हुआ है बल्कि यह समूचे विश्व में हुए आर्थिक परिवर्तन से सम्बन्धित है। विश्व में किसी भी देश ने अभी तक कार्बन का एक निम्न प्रक्षेप पथ नहीं पाया है और कोई भी देश ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के बिना विकास नहीं कर सकता है। चूँकि आर्थिक विकास और ग्रीन हाउस गैसों (जी.एच.जी.) के बढ़े हुए उत्सर्जन के बीच एक स्पष्ट सम्बन्ध है इसीलिए समय की आवश्यकता है कि विकसित देश अपने उत्सर्जन में कमी करें ताकि हमारे जैसे विकासशील देश आर्थिक विकास की अपनी गति को बनाए रख सकें। जलवायु परिवर्तन भागीदारी और सहयोग से भी सम्बन्धित है। अपने समस्त विकास के बावजूद आज भी भारत विश्व में विकसित अथवा धनी देशों के सहयोग से सम्बन्धित है। अपने समस्त विकास के बावजूद भारत विश्व में विकसित देशों के उत्सर्जन स्तर से काफी पीछे है।
जलवायु और जलवायु परिवर्तनशीलता का तत्काल उपयोगी कार्य आर्थिक रूप से कम विघटनकारी उत्तर जलवायु परिवर्तन और परिवर्तनशीलता के उन प्रभावों जो हमें सबसे अधिक प्रभावित करते हैं, को अनुकूल बनाने और उन्हें कम करने के लिये कार्यनीतियाँ विकसित करना है। चूँकि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है और वायुमण्डल से जी.एच.जी. की कुछ मात्रा के गायब होने में दशकों और यहाँ तक कि सदियाँ लग जाती हैं, इसलिए हमें इसे वैश्विक स्तर पर कम करने के अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन और परिवर्तनशीलता के स्थानीय प्रभावों से निपटने के तरीके की तलाश करनी चाहिए। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के प्रयासों में वे कोशिशें शामिल हो सकती हैं जिनमें वर्षों लगेंगे और जिनके लिये समन्वित अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग अपेक्षित होगा।
हमें जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनना होगा। सूखे, हिमनदी का पश्चगमन, तापमान में बढ़ोत्तरी और चक्रवात की तीव्रता से सम्बन्धित परिलक्षित प्रभावों के लिये तूफान से बचाव और जलपूर्ति अवसंरचना और सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेशों जैसे अनुकूलन उपायों की जरूरत होगी। राष्ट्रीय विकास के लिये जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय सम्पोषणीय प्रौद्योगिकियों के विकास और चुनाव सम्बन्धी एक मजबूत और संकेतात्मक अनुसंधान प्रयास आवश्यक होगा। अनेक विकासशील देशों के लिये भारत को अग्रणी भूमिका अदा करनी चाहिए।
अनुकूलन के साथ देश द्वारा कुछेक न्यूनीकरण उपाय भी शुरू किये जाने की आवश्यकता है। इस तथ्य की अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता है कि यदि उपचारात्मक कार्यवाही नहीं की जाती है तो विकासशील देश सबसे अधिक प्रभावित होंगे। अतः सभी स्तरों पर अपने आपको अनुकूल बनाएँ, हमारे पास बेहतर स्वास्थ्य रक्षा और बेहतर निरोधात्मक देखभाल दवाइयाँ हों। हमारी कृषि को और अधिक सूखा-विरोधी बनना होगा अन्यथा हमारी खाद्य सुरक्षा प्रभावित होगी। यह हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है कि हम तत्काल सम्पोषीय विकास के लिये प्रयास करें।
यद्यपि जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी विज्ञान अच्छी तरह समझा जाता है तथापि जलवायु परिवर्तन के वास्तविक आकलन में अनिश्चितताएँ हैं। एक मुख्य अनिश्चितता इन अनुमानों से सम्बन्धित है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी विकल्प समयावधि के दौरान कैसे विकसित होंगे। इसीलिए जब हम जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभावों को देखते हैं तो हमें सावधान रहना होगा। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए। अनुमानित प्रभावों का समाधान करने के लिये नीतियाँ और कार्य ढाँचा तैयार करते समय भलीभाँति अनुसंधान किए गये और सुविकसित तंत्रों को अवश्य अपनाया जाना चाहिए।
जलवायु परिवर्तन के निवारण, प्रशमन तथा अनुकूलन में विस्तृत अध्ययन और शोध शामिल हैं तथा उच्च स्तरीय तकनीकी विशेषता अपेक्षित है। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे तथा इसके प्रभाव से विशिष्ट रूप से निपटने के लिए राष्ट्रीय शोध एजेन्डा आरम्भ किए जाने की आवश्यकता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अथवा विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नियंत्रणाधीन जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में राष्ट्रीय संस्था के नाम से एक अलग संस्था हो सकती है जो विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन प्रशमन और अनुकूलन उपायों से सम्बन्धित चिंताओं का निवारण करेगी। जलवायु परिवर्तन के बारे में जनसमूह में जागरूकता फैलाने के कार्य को यथोचित महत्व दिया जाना चाहिए, इस सन्दर्भ में जनसंचार माध्यम महत्व एक प्रमुख भूमिका अदा कर सकता है और जन समूह को ऊर्जा बचाने वाले जीवन-शैली के परिवर्तनों के अनुरूप अपने आपको ढालने के लिये प्रभावित कर सकता है।
जलवायु परिवर्तन में वनों की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि वृद्धिशील या नये वन वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर लेते हैं और उसे बायोमास या भूमि के नीचे दबा देते हैं। वनों की गुणवत्ता में सुधार और वनारोपण कार्यक्रमों के माध्यम से कार्बन के पृथक्करण की काफी सम्भावना है। ऐसा करना मृदा अपरदन रोकने, मृदा की उर्वरकता में सुधार करने, नवीकरणीय ईंधन लकड़ी और गैर- लकड़ी वन उत्पाद उपलब्ध कराने तथा लाखों गरीब लोगों को आजीविका प्रदान करने की दृष्टि से भी लाभकारी है।
परिवहन सम्पूर्ण विश्व में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि का एक प्रमुख कारण है। मोटर वाहनों की संख्या में वृद्धि से उत्सर्जन में वृद्धि हुई है। ग्रीन हाउस गैस प्रशमन का कोई भी प्रयास सफल नहीं हो सकता जब तक विकसित देशों में उत्पादन और खपत का प्रारूप समग्र रूप से सतत् नहीं रहता है।
देश इस समय तीव्र विकास के पथ पर अग्रसर है। देश को प्रौद्योगिकी के विवेकपूर्ण चुनाव की जरूरत है ताकि तेज गति से आर्थिक विकास करते हुए ग्रीन हाउस गैसों के प्रति व्यक्ति उत्सर्जन स्तरों को वैश्विक औसत के भीतर नियंत्रित रखा जाए। मानव निर्मित बदलावों के कारण जलवायु परिवर्तन का न्यूनीकरण वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख वरीयता क्षेत्र के रूप में उभरा है। जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी अनुसंधान हेतु भारतीय क्षमता में योजनाबद्ध बढ़ोत्तरी भारत के स्वयं के हित में है। हिमालयी हिमनदियाँ उत्तर भारत के लिये जल का चिरस्थायी स्रोत उपलब्ध कराती हैं। हिमालयी हिमनदियों पर विशेष ध्यान देने के साथ जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी अनुसंधान का भारत के लिये काफी महत्व है। कुछ अनुमान लगाए गये हैं कि पिछले 40 वर्षों के दौरान हमारी कुछ हिमनदियाँ 21 प्रतिशत तक पिघल गई हैं। हालांकि ' पिछले 50 वर्षों के दौरान अनेक राष्ट्रीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों द्वारा अनेक असंगठित प्रयास किये गये हैं। एशियाई क्षेत्र जिसका हमसे सीधा सम्बन्ध है, के सम्बन्ध में वर्ष 2050 तक मध्य, दक्षिण पूर्व की ओर दक्षिण-पूर्व एशिया में, विशेष रूप से बड़े नदी बेसिन में ताजे जल की उपलब्धता के घटने का अनुमान है। इस बात का भारत से सीधा सम्बन्ध है, एशिया के तटीय क्षेत्र, विशेष रूप से दक्षिण, पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया में अत्यधिक जनसंख्या वाले विशाल डेल्टा क्षेत्र, समुद्र से बाढ़ और कुछ विशाल डेल्टाओं में नदियों से बाढ़ में वृद्धि के कारण सर्वाधिक खतरे में हैं। यह बात हमारे विशाल डेल्टा क्षेत्रों, विशेष रूप से सुंदरवन क्षेत्र पर लागू होती है। तेजी से शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास के कारण जलवायु परिवर्तन से प्राकृतिक संस्थानों और पर्यावरण पर और अधिक दबाव पड़ने का अनुमान है। हाइड्रोलॉजिकल चक्र में अनुमानित परिवर्तन के कारण पूर्वी, दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशिया में अतिसार रोग, जिसका प्राथमिक कारण बाढ़ और सूखा होता है, के कारण स्थानिक मृत्युदर और अस्वस्थता दर में वृद्धि होने की आशंका है।
किसी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का निर्धारण केवल तापमान की मात्रा में वृद्धि द्वारा नहीं बल्कि उस क्षेत्र और उसकी जनसंख्या की संवेदनशीलता द्वारा भी किया जाता है। भौगोलिक और सामाजिक कारकों का संयोजन गरीबों, जिनमें से अधिकांश सीमांत या अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्रों में बसने को बाध्य होते हैं, को जलवायु परिवर्तन के प्रति सर्वाधिक रोग प्रवण बना देता है।
फसल उत्पादन और पशुधन तथा भूमि, जल और मानव संसाधन की उत्पादकता पर सूखे के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिये कार्यक्रम शुरू किये जाएँ ताकि प्रभावित क्षेत्रों को सूखे से अभेद्य बनाया जा सके। इससे समग्र आर्थिक विकास होगा और गरीबों तथा पिछड़े तबकों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार होगा। जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में जीवन-शैली सम्बन्धी आदतें एक महत्वपूर्ण मुद्दा हैं, भारत में उत्पादन, पैकेजिंग, परिवहन और मेज तक भोजन की प्रोसेसिंग से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन, खाद्य ऊर्जा में प्रति कैलोरी, विकसित देशों की तुलना में काफी कम होता है। यह देखा गया है कि भारत में प्रत्येक राज्य की ऊर्जा की खतप की मात्रा अलग-अलग है और इसीलिए उनकी ऊर्जा का ढाँचा भी अलग-अलग होना चाहिए। पर्वतीय क्षेत्रों में बसे राज्य, उत्तर पूर्वी राज्य जहाँ विद्युत जल संसाधन उपलब्ध हैं वहाँ जल विद्युत पर अधिक ध्यान देना चाहिए। बायोमास के संसाधनों को बढ़ावा दिया जाए चूंकि संसाधन सभी क्षेत्रों में अलग-अलग होते हैं। अतः जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिन्ताओं का समाधान ढूँढ़ते समय ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने हेतु इन मुद्दों पर समुचित ध्यान दिया जाना आवश्यक है, न केवल राज्य बल्कि स्थानीय स्तर पर भी अत्यधिक टिकाऊ प्रौद्योगिकी उपलब्ध हो।
आवासीय और वाणिज्यिक निर्माण कार्यों में निर्माण के टिकाऊ तरीके को अपनाने से अंदरूनी पर्यावरण के लिये यह ज्यादा स्वास्थ्यकर होता है और कम ऊर्जा की खपत होती है तथा प्रदूषण और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है। जहाँ भी सम्भव हो, भवनों में 'किचन हर्बल गार्डन' की अवधारणा को समाविष्ट किया जाना चाहिए। यह महसूस किया गया कि बड़े पैमाने पर हो रहे औद्योगिकीकरण, लगातार बढ़ रही जनसंख्या तथा मोटर वाहनों की बढ़ती संख्या जैसे कारणों ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दों का समाधान ढूँढ़ने की आवश्यकता हेतु मजबूर कर दिया है। औपचारिक शिक्षा प्रणाली में इस बारे में जागरूकता लाए जाने पर भी विचार किया जाए ताकि इस विश्वव्यापी घटनाक्रम में अंतर्विष्ट प्रमुख विचारधाराओं से जुड़े समुचित ज्ञान और समझ की प्राप्ति के उद्देश्य को हासिल किया जा सके।
भारत द्वारा पर्यावरण से जुड़े विभिन्न विश्वस्तरीय वार्ताओं में भाग लेने तथा विश्व में बढ़ते तापमान पर अंकुश लगाने के लिये उठाए गए घरेलू कदमों से भारत की इस समस्या के प्रति प्रतिबद्धता और गम्भीरता की बात रेखांकित होती है। जलवायु परिवर्तन और विश्व में बढ़ते तापमान की असुरक्षित स्थिति को सतत् विकास की प्रक्रिया के माध्यम से कम किया जा सकता है। राष्ट्रों के बीच परस्पर सूचना- विनिमय, पर्यावरण अनुकूलन, नई प्रौद्योगिकियों के विकास में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग, विकसित देशों से विकासशील देशों को प्रौद्योगिकी अरण तथा पर्यावरण की दृष्टि से ठोस सेवाओं जैसे कुछ उपायों से इस खतरों को रोका जा सकता है।
|
- प्रश्न- पर्यावरण के कौन-कौन से घटक हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण की परिभाषायें बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण के विषय क्षेत्र को बताइए तथा इसके सम्बंध में विभिन्न पहलुओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण के मुख्य तत्व कौन-कौन से हैं? स्पष्टतया समझाइए।
- प्रश्न- पर्यावरण भूगोल के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण के संघटकों को समझाइए।
- प्रश्न- पर्यावरण के जैविक तत्वों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी की मूलभूत संकल्पनाओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकीय असंतुलन के कारणों का परीक्षण कीजिए एवं उसे दूर करने के उपायों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक संतुलन की सुरक्षा हेतु कारगर योजना नीति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी क्या है?
- प्रश्न- पारिस्थितिकी की परिभाषायें बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी के उद्देश्यों को बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी समस्याओं के कारकों को बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिक सन्तुलन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जैविक संघटक के आधार पर पारिस्थितिकी का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पारस्थितिकी विकास में भौगोलिक क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्वपारिस्थितिकी किसे कहते हैं?
- प्रश्न- समुदाय पारिस्थितिक क्या है? इसके उपविभाग को समझाइए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक असन्तुलन एवं संरक्षण पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक अध्ययनों के विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानव पारिस्थितिकी क्या है?
- प्रश्न- ग्रिफिथ टेलर का योगदान क्या है?
- प्रश्न- पारिस्थितिकी तंत्र की संकल्पना, अवयव एवं कार्यप्रणाली की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तंत्र को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- पारितंत्र की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तंत्र की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- निवास्य क्षेत्र के आधार पर पारिस्थितिक तंत्र का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तंत्र के संघटकों को बताइए।
- प्रश्न- मनुष्य पारिस्थितिक तंत्र में अस्थिरता उत्पन्न करता है।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकीय दक्षता का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण कैसे निहित है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण के सन्दर्भ में पारम्परिक ज्ञान से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदा "भूकम्प" की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पारम्परिक ज्ञान क्या है एवं इसके प्रमुख लक्षण बताइए।
- प्रश्न- "प्रकृति को बचाएँ, प्राकृतिक जीवन शैली अपनाएँ।" इस वाक्य पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय पारम्परिक ज्ञान एवं पर्यावरण संरक्षण पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पारम्परिक ज्ञान को परिभाषित करते हुए उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जैव-विविधता से आप क्या समझते हैं? पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता में इसके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता संरक्षण हेतु भारत के राष्ट्रीय पार्कों तथा अभ्यारण्यों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पादप संरक्षण से आप क्या समझते हैं? विभिन्न संकटग्रस्त पादपों के संरक्षण के लिए किये गये विभिन्न उपायों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैव-विविधता के विलोपन (ह्रास) के मुख्य कारण क्या हैं? उनका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता के संरक्षण के उपायों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जैव विविधता के संरक्षण की कौन-कौन सी विधियाँ हैं? पर्यावरण संतुलन में इसकी क्या भूमिका है?
- प्रश्न- जैव विविधता का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता के विभिन्न स्तरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता में ह्रास के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता संरक्षण के उपाय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "वनोन्मूलन वातावरण का एक कारक है।' भारत के सन्दर्भ में इसकी विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतवर्ष में वातावरण का विनाश किन-किन क्षेत्रों में सर्वाधिक हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वन विनाश का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वनोन्मूलन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वनों के महत्व को बताइये।
- प्रश्न- भारतीय वन व्यवसाय की समस्यायें बताइए।
- प्रश्न- भारत में वन संरक्षण नीति क्या है?
- प्रश्न- वन संरक्षण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारत में वन संरक्षण नीतियों को समझाइए।
- प्रश्न- वन संरक्षण क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- वनों के विकास के कारक बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण के सुधार में वनीकरण की भूमिका क्या है?
- प्रश्न- चिपको आन्दोलन को समझाइए।
- प्रश्न- वन विनाश की समस्या पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मिट्टी के कटाव के प्रमुख प्रकार बताइये, मिट्टी के कटाव के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए तथा इसके निस्तारण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मृदा अपरदन से उत्पन्न पर्यावरणीय समस्याएँ क्या हैं? मृदा अपरदन को रोकने के क्या उपाय हैं?
- प्रश्न- मृदा अपरदन से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- मृदा क्षय और मृदा अपरदन रोकने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मिट्टी अपरदन के कारण क्या हैं? बताइये।
- प्रश्न- मृदा अपरदन में मुख्य रूप से कौन प्रक्रियायें सम्मिलित होती हैं? बताइये।
- प्रश्न- मृदा की अपरदनशीलता से क्या तात्पर्य है? मिट्टियों की अपरदनशीलता किन कारकों पर आधारित होती हैं? बताइये।
- प्रश्न- FAO के अनुसार कौन से कारक मृदा अपरदन को प्रभावित करते हैं बताइये?
- प्रश्न- मृदा संरक्षण के संदर्भ में विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मिट्टी की थकावट क्या है?
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण के प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- मरुस्थलीय प्रक्रिया के प्रमुख रूपों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण नियंत्रण के उपायों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मरुस्थल कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- भारत के भेद में मरुस्थलीकरण के निरन्तर विस्तार को समझाइये |
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण भारत की मुख्य समस्या है। प्रदूषण समस्या की समीक्षा निम्नलिखित संदर्भ में कीजिए (i) वायु प्रदूषण (ii) जल प्रदूषण।
- प्रश्न- जल प्रदूषण की परिभाषा दीजिए। जल प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों का वर्णन करते हुए नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- जल संरक्षण एवं प्रबन्धन के महत्व की विवेचना करते हुए जल संरक्षण एवं प्रबन्धन की प्रमुख विधियों का विवरण लिखिए।
- प्रश्न- प्रदूषण किसे कहते हैं? वायु प्रदूषण के कारण एवं नियंत्रण का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट से क्या आशय है? ठोस अपशिष्ट के कारणों तथा प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण के सामान्य कारणों को बताइए।
- प्रश्न- पर्यावरण संतुलन से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषक क्या है? इनके प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण क्या है?
- प्रश्न- वायु प्रदूषण की परिभाषा बताइये।
- प्रश्न- वायु प्रदूषकों के प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में वायु प्रदूषण की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण का पर्यावरण में प्रभाव को बताइए, तथा विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण रोकने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण की प्रकृति को बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- गंगा प्रदूषण पर निबंध लिखिए या गंगा प्रदूषण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किन प्रमुख स्रोतों से गंगा का जल प्रदूषित हो जाता है कारण बताइए।
- प्रश्न- गंगा जल प्रदूषण को रोकने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण के प्रभावों को बताइए तथा इन कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ध्वनि प्रदूषण के कारण एवं नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मृदा प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- मृदा की गुणवत्ता में हास या अवनयन किन-किन कारणों से होता है, बताइए?
- प्रश्न- मृदा प्रदूषण के कारकों को बताइए तथा मिट्टी प्रदूषकों के नाम बताइए।
- प्रश्न- मिट्टी प्रदूषण के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- मिट्टी प्रदूषण के कुप्रभाव बताइए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्टों के घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट प्रदूषण की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट के स्रोत बताइए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट के प्रकार बताइये तथा प्रत्येक की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्टों का प्रदूषण में क्या योगदान है विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट पदार्थों के निपटान के बारे में सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- ध्वनि प्रदूषक क्या हैं?
- प्रश्न- प्रदूषित पेयजल जनित रोग बताइए?
- प्रश्न- "पर्यावरण प्रदूषण एक अभिशाप है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जल संरक्षण की विधियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट क्या है?
- प्रश्न- गंगा एक्शन प्लान (GAP) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- टिहरी उच्च बाँध परियोजना के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- टाइगर प्रोजेक्ट के विशेष सन्दर्भ में वन्य जीवन परिसंरक्षण की सार्थकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत की बाघ परियोजना का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- नर्मदा घाटी परियोजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नर्मदा घाटी से सम्बन्धित पर्यावरणीय चिन्ताएँ क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गंगा एक्शन प्लान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- टिहरी बाँध परियोजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- टिहरी बाँध परियोजना के क्या उद्देश्य थे?
- प्रश्न- भारत में कितने टाइगर अभयारण्य हैं?
- प्रश्न- भारत में टाइगर प्रोजेक्ट योजना का निर्माण क्यों आवश्यक था?
- प्रश्न- गंगा कार्य योजना (गंगा एक्शन प्लान) के संस्थागत पहल के विषय में बताइए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन को समझना क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- ग्लोबल वार्मिंग क्या है? इसके मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक उष्णता से आप क्या समझते हैं? इसके कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हरित गृह प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हरित गैस के प्रमुख स्रोत बताइए।
- प्रश्न- हरित गृह द्वारा कौन-कौन सी समस्यायें उत्पन्न होती हैं? समझाइए।
- प्रश्न- हरित गृह प्रभाव की रोकथाम को बताइए।
- प्रश्न- ओजोन क्षरण से मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ओजोन परत क्षरण के कारण लिखिए।
- प्रश्न- भूमण्डलीय ताप वृद्धि के प्रभाव क्या है?
- प्रश्न- प्रमुख भूमण्डलीय समस्याओं को बताइये।
- प्रश्न- भूमण्डलीय तापन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम पृथ्वी सम्मेलन (रियो सम्मेलन) के प्रमुख मुद्दों को बताइए।
- प्रश्न- प्रथम पृथ्वी सम्मेलन के मुद्दों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक ताप वृद्धि के निवारक उपाय बताइए।
- प्रश्न- भारतीय पर्यावरण विधियों (अधिनियमों) की कमियाँ बताइये।
- प्रश्न- भारत पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक जलवायु आकलन आई.पी.सी.सी. पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आई.पी.सी.सी. की मूल्यांकन रिपोर्ट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल की व्याख्या कीजिए एवं आई.पी.सी.सी. की आकलन रिपोर्ट बताइए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन क्या है एवं इसके कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन के संभावित वैश्विक प्रभाव को बताइए।
- प्रश्न- एशियाई क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना का वर्णन एवं इसके मिशन को भी बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सौर मिशन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- सुस्थित निवास पर राष्ट्रीय मिशन का लक्ष्य बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय जल मिशन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुस्थिर हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन का लक्ष्य क्या है .
- प्रश्न- सुस्थिर कृषि पर राष्ट्रीय मिशन की व्याख्या करें।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन हेतु रणनीति ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "जलवायु परिवर्तन एवं भारतीय स्थिति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में भारत और अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन के प्रतिकार के प्रस्ताव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु हितैषी उपायों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर निगरानी रखने से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अनुसंधान क्षमता और संस्थागत आधारभूत संरचना का निर्माण जलवायु परिवर्तन के लिये क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर शैक्षिक ढाँचा क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप से क्या आशय है? प्राकृतिक एवं मानव जनित प्रकोपों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप तथा विनाश का अर्थ एवं परिभाषा को बताइए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रकोप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानव जनित प्रकोप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रकोप के प्रति सामाजिक प्रतिक्रिया की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रकोपों तथा आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए प्रबंधन के अन्तर्गत किन- किन पक्षों को सम्मिलित किया जाता है।
- प्रश्न- Idndr के तहत प्रकोप नयूनीकरण कार्यक्रम के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- सूखा प्रकोप से आप क्या समझते हैं? सूखा प्रकोप के प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- सूखा नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- बाढ़ प्रकोप से आप क्या समझते हैं? बाढ़ के कारण बताइए।
- प्रश्न- बाढ़ नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भूकम्प प्रकोप का सामान्य परिचय देते हुए उनके प्रभावों को बताइए।
- प्रश्न- भारत के जोखिमकारी अवशिष्टों का प्रबन्धन क्यों आवश्यक है एवं देश में जोखिमकारी अवशिष्टों को पर्यावरणीय अनुकूलन की दृष्टि से प्रबन्धित करने हेतु विभिन्न हस्तक्षेपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से जैव विविधता के सामने प्रस्तुत खतरे और समाधान को बताइए।
- प्रश्न- "आक्रामक विजातिय प्रजातियों से नियंत्रित होने का खतरा बना रहता है। कथन की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जोखिमकारी अवशिष्टों के उत्पन्न होने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- अवशिष्टों की उत्पत्ति पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है?
- प्रश्न- "पुनर्उपयोग, पुनः प्राप्त करना पुनर्चक्रणीय जोखिमकारी अवशिष्ट" की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जोखिमकारी नियामक ढाँचे से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- 'अधिवास के नुकसान से दबाव, अवमूल्यन में कमी से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय वानिकी और पारिस्थितिकीय विकास बोर्ड के कार्य बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार एवं आपदा प्रबन्धन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कृषि व सिंचाई की दृष्टि से जल की उपलब्धता व सूखे का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूखा-प्रणत क्षेत्र कार्यक्रम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपदा के समय क्या करना एवं क्या न करना चाहिए?
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाएँ एवं प्रबन्धन के विषय में बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाओं से अत्यधिक प्रभावित राज्य कौन से हैं?
- प्रश्न- सूखा अथवा अनावृष्टि को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- जल की उपलब्धता पर सूखे के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुनामी आपदा क्या है? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तटों पर सुनामी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 26 दिसम्बर 2004 का सुनामी आपदा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुनामी द्वारा लाये गये परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 2013 की अनावृष्टि (सूखा) का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- परमाणु आपदा का विवरण दीजिए। इससे होने वाले विनाशों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक आपदा क्या है? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- किसी आपात या रासायनिक आपात स्थिति के दौरान क्या करना चाहिए?
- प्रश्न- नाभिकीय / रेडियोधर्मी प्रदूषण को रोकने के उपाय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भू-स्खलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।